भगवतशरण अग्रवाल वाक्य
उच्चारण: [ bhegavetshern agarevaal ]
उदाहरण वाक्य
- 7. डॉ. भगवतशरण अग्रवाल
- -डॉ 0 भगवतशरण अग्रवाल मन की भाषा भाग्य की लिपि में लिखे-तुम्हारे पत्र।
- भारतीय साहित्य और संस्कृति के मर्मज्ञ भगवतशरण अग्रवाल ने इसी मेल को ' लोकरस' और 'लोकानंद' कहा है।
- इस सप्ताह-अनुभूति में-दिनेश सिंह, हस्तीमल हस्ती, राजेन्द्र कांडपाल, भगवतशरण अग्रवाल और पं. विद्या रतन आसी की रचनाएँ।
- भारतीय साहित्य और संस्कृति के मर्मज्ञ भगवतशरण अग्रवाल ने इसी मेल को “ लोकरस ' और ” लोकानंद ' कहा है।
- डॉ० भगवतशरण अग्रवाल ने हाइकु भारती पत्रिका के माध्यम से हाइकुकारों को एक मंच दिया जिससे हाइकु के प्रति लागों में रुचि उत्पन्न हुई ।
- तो डॉ. भगवतशरण अग्रवाल जी को सादर नमन करते हुए उनका हाइकु दे रही-मत कुरेदो / स्मृतियों के ढेर को-/ ज्वालामुखी हैं।
- इस उपयोगी पत्रिका में भगवतशरण अग्रवाल के आलेख ‘ कवि क्या लिखे? ' के साथ साथ अन्य साहित्यिक समाचार, सम्मान पुरस्कारों की जानकारी व अन्य रचनाएं प्रकाशित की गई हैं।
- प्रो० सत्यभूषण वर्मा ने हिन्दी हाइकु का भरपूर प्रचार किया तथा कमलेश भट्ट कमल, भगवतशरण अग्रवाल एवं डा० जगदीश व्योम ने हाइकु को हाइकु दर्पण के माध्यम से हिन्दी साहित्यकारों तक पहुँचाने में बड़ा योगदान दिया है।
- सबसे अच्छी बात मुझे यह लगी कि एक तरफ़ जहाँ इसमें डॉ. भगवतशरण अग्रवाल, डॉ. सुधा गुप्ता, डॉ. रमाकान्त श्रीवास्तव और डॉ. गोपाल बाबू शर्मा जी जैसे इतने वरिष्ठ रचनाकार हैं, वहीं बिल्कुल नए रचनाकारों को भी उसी आत्मीयता और सम्मान के साथ स्थान दिया गया है ।
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